Wednesday, June 8, 2016

आनंद मेरा विकल्प है

जब खुशी पहुँच से बाहर हो और समस्याओं का वजन नीचे दबा रहा हो, तो मैं यीशु के पास भागती हूँ, तुम कहाँ जाते हो?
मैं अब भी उस समय को याद करती हूँ जब मेरी खुशीयां चोरी हो गई थी और मैं मुस्करना भी भूल गई थी. मैंने सभी धर्मों में परमेश्वर को खोजा लेकिन वह कहीं नहीं मिला. मैंने पूरी तरह से परमेश्वर में अपना विश्वास खो दिया था | जीवन मेरे लिए एक बोझ बन गया था लेकिन मैं अपने बीमार पति जो अपने L4 और 5 की पीठ की हड्डियों के क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण बिस्तर पर थे और 80% स्मृति खो चुके थे, और मेरे 9 साल के बच्चे के लिए मेरा जीना ज़रूरी था.
मुझे नहीं पता था कि खुशियाँ भी कहीं पायीं जा सकती थीं, मेरे लिए जीवन असफल हो चुका था और मौत जीत रही थी| चूकि  मेरे ऊपर परिवार का उत्तरदायित्व था इसलिए मैं जी रही थी पर बिना उम्मीद के
दिल के भीतरी कोने में फिर भी एक उम्मीद छुपी थी और वह थी कि कहीं ना कहीं अवश्य ही अच्छाई छिपी है, कि कहीं ना कहीं अवश्य ही प्रकाश छिपा है, कि कहीं ना कहीं अवश्य ही सच्चाई छिपी है, कि कहीं ना कहीं अवश्य ही समाधान छिपा है | मेरे पास एक प्रश्न था कि थोड़ी सी ही सही पर शांति कहाँ मिलेगी, कि थोड़ी सी ही सही पर ख़ुशी कहाँ मिलेगी, कि थोड़ी सी ही सही पर राहत कहाँ मिलेगी?
क्या जीवन बहुमूल्य है?
क्या परमेश्वर वास्तव में सुनता है?
उसने मनुष्य को क्यों बनाया?
मैं कहाँ जा रही हूँ स्वर्ग या नरक या बीच में कहीं?
मेरे पास बहुतेरे प्रश्न थे, मुझे डरावने सपने क्यों आतें हैं?
मैं इस तरह क्यों तकलीफ पा रही हूँ?
परमेश्वर क्यों नहीं मेरी मदद को आतें है ? लेकिन इन बातों का कोई भी जवाब ना था |
फिर एक दिन जब मैं यीशु के पास आयी मेरे दिल की आवाज़ सुनी गई,
मुझे वह लम्हा इतना पसंद है जब मैंने यीशु को जाना. उसके शब्द कहते है, "मुझे पुकारोगे तो मैं जवाब दूंगा |"
मैंने उससे पूछा क्या तुम परमेश्वर हो?
क्या तुम मेरी मदद करोगे?
क्या तुम मुझे शांति दे सकते हो?
क्या तुम मेरे पति को ठीक कर सकते हो? मैंने उससे कहा अच्छा मैं तुम्हें परखती हूँ |
मैंने उससे कहा, "मेरे पाप क्षमा कर दो, मेरे पुरखों के पाप क्षमा कर दो, मैं विश्वास करती हूँ कि तुम मेरे कारण आये, मेरे कारण मरे और मेरे ही कारण फिर जी उठे, और अब तुम पिता के दाहिने हाथ में स्वर्ग में बैठे हो | तुमने मेरे सभी पाप माफ़ कर दिए हैं | शैतान का मुझ पर कोई अधिकार नहीं हैं | मैं परमेश्वर की संतान हूँ |" मैंने महसूस किया कि मेरी आत्मा में शान्ति थी|
पिछले हफ्ते मैं एक कंप्यूटर इन्जिनीयर जो कि दक्षिण अफ्रीका से था मिली |वह दोपहर के समय में पिए हुए था| मुझे आत्मा में लगा कि मैं उससे पूछूं तो मैंने उससे पूछा कि वह शराब क्यों पिए हुए है ? वह मुस्कराया बोला, मेरी बहुत सारी समस्याएं है कोई भी मेरी मदद नहीं कर सकता है |
मैंने कहा, हाँ ये बात सही है मैं तुम्हारी कोई भी मदद नहीं कर सकती हूँ लेकिन परमेश्वर कर सकता है |
वह फिर मुस्कराया और बोला, परमेश्वर कत्तई नहीं! मैं कथोलिक इसाई था लेकिन अब मैं मुसलमान हूँ, फिर भी मेरी समस्या का कोई समाधान नहीं हैं, कम से कम शराब तो मुझे थोड़ी देर के लिए समस्याओं से दूर ले जाती है |
मैंने अपनी गवाही देने की कोशिश की, उसने कुछ सुनी कुछ नहीं | बातचीत होती गई, अंत में मैंने उससे पूछा क्या मैं तुम्हारे साथ प्रार्थना कर सकती हूँ?
उसने जवाब दिया मैडम, वह कैसे मेरी मदद कर सकता है?
मैंने फिर अपने प्रश्न को दोहराया, उसने कहा ठीक है, प्रार्थना के अंत में वह रोने लगा, फिर वह बोला, मेरे दिल में सुकून है, मुझे आपकी प्रार्थना की ज़रुरत है |
मैंने उससे कहा, जो भी तुम्हारे जीवन में हो रहा है यीशु को बताओ | उस शाम को मुझे उसका एक मेसेज मिला, उसने लिखा, आज मैं बहुत आज़ाद महसूस कर रहा हूँ, जैसे कि हवा में अणु हों |
यहाँ पर मैं आनंद से भर गई| जब भी परमेश्वर किसी के जीवन में काम करते है मुझे बहुत शांति मिलाती है जैसे मेरी प्यास बुझ गई हो
पढ़ें लुका 6:45
वह व्यक्ति, वही आनंद और शांति बोल रहा था जो उसके अन्दर भरा हुआ था
तुम्हारा आनंद कहाँ है?
क्या तुम्हारा आनंद सांसारिक वस्तुओं में है?
पढ़ें नहेमयाह 8:10
आनंद क्यों आवश्यक है?
क्या उससे ताकत मिलती है?
फिर ख़ुशी क्या है, क्या ख़ुशी और आनंद एक ही बात है?
आजमाइश के बीच में बनी रहने वाली स्थिति आनंद है जबकि ख़ुशी भावनात्मक स्थिति है
याकूब 1:2
लोग जीवन से संघर्ष करते है क्योंकि उन्होंने अपना आनंद खो दिया है
शुद्ध आनंद ख़ुशी नहीं हैं , अगर आपमें आनंद का आभाव है तो ताकत भी ना रहेगी
गीत है प्रभु का आनंद है मेरी ताकत.......
तब जब आनंद ना होगा तो हम परिस्थितियों से मुकाबला कैसे करेंगे
आनंद हमे परिस्थितियों से लड़ने की ताकत देता है, और जब तुम मुकाबला करोगे तभी तो जयवंत होगे
पढ़ें 1 युहन्ना 4:4,
बोलो- परीक्षाओं से हमे विजय मिलती है कुंठा नहीं
पढ़ें गलातियों 5:22-23
आनंद भी पवित्र आत्मा का फल है, यह भी एक विकल्प है |
इसका अनुभव तब मिलता है जब हम अपने को जैसे हैं वैसा स्वीकार करते हैं, जब हम बिना लालच के दूसरे की भलाई करते है, जब हम पक्षपात रहित हो, जब हम स्वार्थी ना हो और अपनी कठिन परिस्थितियों में भी अडिग खड़े रहें
पढ़ें हबक्कूक 3 :17 -18
क्या तुम अपनी परिस्थितियों से हार रहें हो या फिर उनके विरूद्ध खड़े हो रहें हो
पढ़ें हबक्कूक 3 :19
अगर तुम कठिन परिस्थितियों में भी अडिग खड़े रहो तो परमेश्वर तुम्हारे लिए नया रास्ता अवश्य ही खोल देगा
तुम हार के लिए नहीं बल्कि विजय के लिए हो
क्या परमेश्वर ने तुम्हारे लिए बुरी वस्तुएं रखी है
पढ़े भजन संहिता 84:11
यह वचन कहता है कि परमेश्वर कभी भी अच्छी चीजे अपने प्यार करने वाले से नहीं छुपता है
अब चुनाव तुम्हारा है कि तुम
विजय
या हार में से किसे अपनाते हो?
विजय या हार एक व्यक्ति के बर्ताव में छुपी है
तुम्हारे जीवन में कैसी भी समस्या हो सकती है, परिवार सम्बंधित, धन सम्बंधित, बीमारी सम्बंधित, हो सकता है कि कुछ भी अच्छा ना हो रहा हो ? क्या फिर भी तुम आनंदित हो?
अगर तुम्हारा आनंद परमेश्वर से है तो यह संभव है
पढ़ें यशायाह 12:2-3,
इस वचन को ध्यान से पढ़े परमेश्वर ने हमारी ज़रूरतों के कुएं दिए है | कुए से मतलब है कि असीमित प्रावधान, आपको कितना चाहिए ले लो
अगर तुम्हारी ज़रुरत चंगाई है तो चंगाई के कुएं के पास जाओ
अगर तुम्हारी ज़रुरत धन है तो धन के कुएं के पास जाओ
अगर तुम्हारी ज़रुरत शांति है तो स्वस्थ मन के कुएं के पास जाओ
अगर तुम्हारी ज़रुरत परिवार में शांति है तो संबंधों की बहाली के कुएं के पास जाओ
प्रिय मित्रों कुएं से पानी निकालने के लिए जिस ताकत की बात यशायाह कर रहा है वह आनंद है | अगर आनंद nahi है तो उसका विलोम क्या है? और अगर मन उदास है तो परमेश्वर के उद्धार से तुम क्या पाओगे?
बिना आनंद के तुम्हें कुछ ना मिलेगा
इसलिए प्रिय हतोत्साहित ना हो,
परमेश्वर का विरोधी अर्थात शैतान तो चाहेगा कि तुम आनंदित ना हो, क्योंकि वह तुम्हारा भी विरोधी है
यीशु ने कहा शैतान चुराने, नष्ट करने और मरने के लिए है पर मैं आया ताकि तुम जीवन पो और वह भी भरपूर
इसलिए
आपका विकल्प क्या है
कह दो शैतान को कि तुम मेरा आनंद नहीं छु सकते हो
यदि तुम परमेश्वर के हो तो तुम पवित्र आत्मा के हो
यदि तुम पवित्र आत्मा के हो तो तुम उसके गुणों वाले हो
फिर शैतान तुम्हारे आनंद को नहीं चुरा सकता है
इसका मतलब है कि तुम आशीषित हो इसलिए अपने आशीषों को अपने जीवन में देखना शुरू कर दो
आमीन

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