Wednesday, October 31, 2012

सुरक्षा के लिए प्रार्थना

प्रार्थना गाइड लाइन
सबसे पहले आवश्यकता है कि जीवन में चल रही लड़ाई की प्रकृति को पहचानो, ये लडाई शारीरिक नहीं बल्कि आध्यात्मिक है ।अगर हम इन हमलो को सुलझाने के लिए शारीरिक शक्ति का इस्तेमाल करेंगे तो वह पाप के प्रवेश का खुला दरवाज़ा होगा  और दुष्ट आत्माए प्रवेश पा जाएँगी फिर कैसे मिलेगा समस्या का समाधान ।
पढ़े सभोपदेशक 10:8
इसलिए पवित्र आत्मा से प्रार्थना करो कि वह तुम्हें माफ़ कर दे और तुम्हारी सहायता करे -
प्रार्थना करें-
प्रभु यीशु मैं आपको धन्यवाद करती हूँ कि आप मेरे साथ है फिर मेरे विरोध में कौन हो सकता है  
मेरे आत्मिक जीवन में बाधा डालने वाले हर शास्त्र असफल हो जाएँ यीशु के नाम पर 
पिता परमेश्वर मेरे इन हाथों को युद्ध करना और उँगलियों को लड़ना सिखाईये यीशु के नाम पर
मेरे जीवन में सभी  आर्थिक और  गृहस्थ जीवन से सम्बंधित सफलताएँ आ जाये और परेशानियाँ तितर-बितर हो जाएँ यीशु के नाम पर
मेरे विवाह की विरोधी दुष्टात्मा  नष्ट हो जाएँ यीशु के नाम पर 
मेरे या मेरे परिवार के विरोध में भेजी गयी सभी बीमारियाँ यीशु के नाम पर मैं दुतकारता हूँ 
मेरे या मेरे परिवार के जीवन में सफलता या उन्नति की सभी बंदिशे यीशु के नाम पर खुल जाएँ 
मेरे या मेरे परिवार की आशीषों को रोकने वाली सभी ताकते हिला दी जाये और पूरी तरह नष्ट हो जाएँ यीशु के नाम पर
प्रभु यीशु के नाम पर मैं स्वयं को अपने परिवार को और सारी संपत्ति को यीशु के लहू से ढकती हूँ 
प्रभु यीशु के नाम पर रिश्तेदारों के द्वारा फेके गये शैतान के समस्त वार ध्वस्त हो जाएँ और फिर कभी न उठने पायें 
मुझे इन समस्याओं से छुटकारे दिलाने के लिए और मुझे व मेरे परिवार को विजय देने के लिए पिता परमेश्वर मैं आपको धन्यवाद करता हूँ
मेरे पूर्वजों के द्वारा किये गए अधर्म के फलस्वरूप जो कष्ट मेरे या मेरे परिवार में आयें यीशु के नाम पर नष्ट हो जाएँ 
पिता धन्यवाद यीशु के नाम पर
अमीन  

Thursday, October 25, 2012

उद्धार : अकेला समाधान

पढ़ें उत्पत्ति 4, लैव्व्यवस्था 1 और 6, गलातियों 3 और रोमियों 3

अगर तुमने यीशु के लिए अपना निर्णय ले लिया है पर फिर भी उद्धार के विषय में पूरी तरह स्पष्ट नहीं हो तो तुम अवश्य ही कृपा के इस मतलब को पवित्र शाश्त्र में खोजो!

1. पुराना नियम का अनुगृह  
पढ़ें उत्पत्ति 4:2-5,  फिर वह उसके भाई हाबिल को भी जन्मी, और हाबिल तो भेड़-बकरियों का चरवाहा बन गया, परन्तु कैन भूमि की खेती करने वाला किसान बना। कुछ दिनों के पश्चात कैन यहोवा के पास भूमि की उपज में से कुछ भेंट ले आया। और हाबिल भी अपनी भेड़-बकरियों के कई एक पहिलौठे बच्चे भेंट चढ़ाने ले आया और उनकी चर्बी भेंट चढ़ाई; तब यहोवा ने हाबिल और उसकी भेंट को तो ग्रहण किया, परन्तु कैन और उसकी भेंट को उसने ग्रहण न किया। तब कैन अति क्रोधित हुआ, और उसके मुंह पर उदासी छा गई। 
हाबिल की भेंट कैन से ज्यादा गृहण योग्य क्यों ?
क्या यह व्यवसाय के कारन भेदभाव है ?
पढ़ें उत्पत्ति 4:6-7, तब यहोवा ने कैन से कहा, तू क्यों क्रोधित हुआ? और तेरे मुंह पर उदासी क्यों छा गई है? 
यदि तू भला करे, तो क्या तेरी भेंट ग्रहण न की जाएगी? और यदि तू भला न करे, तो पाप द्वार पर छिपा रहता है, और उसकी लालसा तेरी और होगी, और तू उस पर प्रभुता करेगा।
इन दोनों बेटों ने एक सा क्या किया  है ?
इन दोनों ने मेहनत की और अपनी मेहनत का पहला फल परमेश्वर के सम्मुख लाये।
तब परमेश्वर ऐसा क्यों बोले की कैन अवश्य जो सही है करें ?
कैन और हाबिल ने देखा जाये तो जो ज़रूरी था वही किया 
इस भेँट का उद्देश्य क्या है ?
पढ़ें लैव्व्यवस्था 1:1-2, यहोवा ने मिलापवाले तम्बू में से मूसा को बुलाकर उससे कहा, इस्त्राएलियों से कह, कि तुम में से यदि कोई मनुष्य यहोवा के लिये पशु का चढ़ावा चढ़ाए, तो उसका बलिपशु गाय-बैलों वा भेड़-बकरियों में से एक का हो। 
यहाँ किस बात पर विचार-विमर्श किया जा रहा है ? पशु बलि - वाही विषय जो कैन और हाबिल की कहानी का है 
पढ़ें लैव्व्यवस्था 1:3-4, यदि वह गाय बैलों में से होमबलि करे, तो निर्दोष नर मिलापवाले तम्बू के द्वार पर चढ़ाए, कि यहोवा उसे ग्रहण करे। और वह अपना हाथ होमबलिपशु के सिर पर रखे, और वह उनके लिये प्रायश्चित्त करने को ग्रहण किया जाएगा। 
पुराने नियम के अंतर्गत एक व्यक्ति की माफ़ी के लिए क्या अनिवार्य था ?
एक व्यक्ति के पापों की क्षमा के लिए सिर्फ पशु बलि देना अनिवार्य था । और 
पढ़े  लैव्व्यवस्था 6:1-5, फिर यहोवा ने मूसा से कहा, यदि कोई यहोवा का विश्वासघात करके पापी ठहरे, जैसा कि धरोहर, वा लेनदेन, वा लूट के विषय में अपने भाई से छल करे, वा उस पर अन्धेर करे, वा पड़ी हुई वस्तु को पाकर उसके विषय झूठ बोले और झूठी शपथ भी खाए; ऐसी कोई भी बात क्यों न हो जिसे करके मनुष्य पापी ठहरते हैं, तो जब वह ऐसा काम करके दोषी हो जाए, तब जो भी वस्तु उसने लूट, वा अन्धेर करके, वा धरोहर, वा पड़ी पाई हो; चाहे कोई वस्तु क्यों न हो जिसके विषय में उसने झूठी शपथ खाई हो; तो वह उसको पूरा पूरा लौटा दे, और पांचवां भाग भी बढ़ाकर भर दे, जिस दिन यह मालूम हो कि वह दोषी है, उसी दिन वह उस वस्तु को उसके स्वामी को लौटा दे। 
परमेश्वर पापों के लिए माफ़ी देता है और चोरी की वापसी 20% दंड के साथ है 
लैव्व्यवस्था पढने से हमें कैन की भेंट परमेश्वर की दृष्टि में क्यों नही गृहण योग्य थी पता चलता है 
पापों का दंड मृत्यु है और पशु बलि से उसकी माफ़ी होती थी । एक सेब के चढाने से कुछ नहीं होता है वह तो जूस देगा लहू नहीं 
पुराना नियम के अंतर्गत क्या कठिन परिश्रम से कोई भी परमेश्वर के साथ सही रिश्ता कायम कर सका ?
कैन से ही पूछ लो (उसने भी तो कठिन परिश्रम किया था )
आज के समय में कैन की समस्या -पाप का मतलब क्या है 
पढ़ें यशायाह 64:6,  हम तो सब के सब अशुद्ध मनुष्य के से हैं, और हमारे धर्म के काम सब के सब मैले चिथड़ों के समान हैं। हम सब के सब पत्ते की नाईं मुर्झा जाते हैं, और हमारे अधर्म के कामों ने हमें वायु की नाईं उड़ा दिया है।
तो फिर कौन बच सकता है ?
फिर बहुत है जो कैन के जैसा सोचते है कि अच्छे कामो से बच जायेंगे ।
पर सच तो ये है कि हममे से कोई भी धर्मी नहीं है जब कैन ने देखा कि हाबिल की भेंट परमेश्वर ने स्वीकार कर ली और उसकी नहीं तो वह क्रोधित हो  गया ।
कितने है जो परमेश्वर का अनुगृह दूसरों के जीवन में देख कर इर्ष्या करने  लगते है?
चलो चर्चा करते है उन विश्वासी भाईयों की जो उद्धार के विषय में संदेह करते है 
ऐसे व्यक्ति अपने कार्यों के कारन सोचते है कि उन्हें उद्धार मिलेगा कि नहीं । तो कहने का मतलब है कि क्या उद्धार अच्छे कामों के ज़रिये प्राप्त होता है ? ऐसा सोचते हैं 
तो फिर उद्धार की गारंटी कैसे है ?
अनुगृह से विशवास के द्वारा 
अनुगृह कैसे प्राप्त करें ?
परमेश्वर पर विशवास करने से 
अगर हम अपने उद्धार पर संदेह कर रहे है तो हम परमेश्वर पर विशवास नहीं कर रहें हैं 
अगर हम विशवास करते है तो हम स्वतंत्र हैं लेकिन वचन कहता है कि मसीह ने स्वतंत्रता के लिये हमें स्वतंत्र किया है; सो इसी में स्थिर रहो, और दासत्व के जूए में फिर से न जुतो॥ अतः अपनी  स्वतंत्रता को अधर्म के लिए मत प्रयोग करो 
पापों के कारन दुःख और तकलीफों की बाढ़ हमारे जीवनों में आ गयी । वहीँ येशु ने प्रेम का प्रदर्शन कर हमें हमारे पापों से छुडा लिया।
क्या फिर भी हम संदेह करें और परमेश्वर की अनमोल गिफ्ट उद्धार को न पायें?
प्रिय मित्रो, परमेश्वर की अनमोल गिफ्ट उद्धार को आनंद और पुरे साहस के साथ स्वीकार करो। अगर तुम अपने पों को स्वीकार करो और मन में विशवास करो कि उसने तुम्हारे लिये अपना पशु तुल्य बलिदान कर दिया है तो तुम बच गए ।अपने उद्धार पर शक न करो तुम यीशु द्वारा नरक से बचा लिए गए हो।
अगले हफ्ते : मसीह में विकास 


Wednesday, October 24, 2012

येशु आने वाला है



  • क्या तुम परमेश्वर के आने की राह देख रहो हो या नहीं?
अगर हाँ - तो सावधान रहो ऐसा येशु ने कहा है
39 और जब तक जल-प्रलय आकर उन सब को बहा न ले गया, तब तक उन को कुछ भी मालूम न पड़ा; वैसे ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा। 40 उस समय दो जन खेत में होंगे, एक ले लिया जाएगा और दूसरा छोड़ दिया जाएगा। 41 दो स्त्रियां चक्की पीसती रहेंगी, एक ले ली जाएगी, और दूसरी छोड़ दी जाएगी। 42 इसलिये जागते रहो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि तुम्हारा प्रभु किस दिन आएगा। 43 परन्तु यह जान लो कि यदि घर का स्वामी जानता होता कि चोर किस पहर आएगा, तो जागता रहता; और अपने घर में सेंध लगने न देता। 44 इसलिये तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा। (मत्ती 24:39-44)
वह किसके लिए आ रहा है?
अपनी कलीसिया के लिए आ रहा है
क्या चिन्ह है जो हमें ये बतातें है कि येशु का आना समीप है
1. सामाजिक व्यवस्था में छल कपट 
1 पर यह जान रख, कि अन्तिम दिनों में कठिन समय आएंगे।2 क्योंकि मनुष्य स्वार्थी, लोभी, डींगमार,
अभिमानी, निन्दक, माता-पिता की आज्ञा टालने वाले, कृतघ्न, अपवित्र।3 दयारिहत, क्षमारिहत, दोष लगाने 
वाले, असंयमी, कठोर, भले के बैरी।4 विश्वासघाती, ढीठ, घमण्डी, और परमेश्वर के नहीं वरन सुखविलास ही के चाहने वाले होंगे।5 वे भक्ति का भेष तो धरेंगे, पर उस की शक्ति को न मानेंगे; ऐसों से परे रहना। (2तिमोथिअस 3:1-5)
२. युध्ह और युध्ह से सम्बंधित अफवाहें 
6 तुम लड़ाइयों और लड़ाइयों की चर्चा सुनोगे; देखो घबरा न जाना क्योंकि इन का होना अवश्य है, परन्तु उस समय अन्त न होगा। 7 क्योंकि जाति पर जाति, और राज्य पर राज्य चढ़ाई करेगा, और जगह जगह अकाल पड़ेंगे, और भुईंडोल होंगे। 8 ये सब बातें पीड़ाओं का आरम्भ होंगी। 9 तब वे क्लेश दिलाने के लिये तुम्हें
पकड़वाएंगे, और तुम्हें मार डालेंगे और मेरे नाम के कारण सब जातियों के लोग तुम से बैर रखेंगे। (मत्ती 24:6-9)
2 क्योंकि तुम आप ठीक जानते हो कि जैसा रात को चोर आता है, वैसा ही प्रभु का दिन आने वाला है। 3 जब लोग कहते होंगे, कि कुशल है, और कुछ भय नहीं, तो उन पर एकाएक विनाश आ पड़ेगा, जिस प्रकार गर्भवती पर पीड़ा; और वे किसी रीति से बचेंगे। (1 थिसिलुनिको 5:2-3)
25 और सूरज और चान्द और तारों में चिन्ह दिखाई देंगें, और पृथ्वी पर, देश देश के लोगों को संकट होगा; क्योंकि वे समुद्र के गरजने और लहरों के कोलाहल से घबरा जाएंगे। 26 और भय के कारण और संसार पर आनेवाली घटनाओं की बाट देखते देखते लोगों के जी में जी न रहेगा क्योंकि आकाश की शक्तियां हिलाई जाएंगी। (लूक 21:25-26)
3. झूठें भविष्यवक्ता और उनसे सम्बन्धित कार्यो का बढ़ जाना 
11 और बहुत से झूठे भविष्यद्वक्ता उठ खड़े होंगे, और बहुतों को भरमाएंगे। 12 और अधर्म के बढ़ने से बहुतों का प्रेम ठण्डा हो जाएगा। 13 परन्तु जो अन्त तक धीरज धरे रहेगा, उसी का उद्धार होगा। (मत्ती 24:11-13)
1 हे धनवानों सुन तो लो; तुम अपने आने वाले क्लेशों पर चिल्ला-चिल्लाकर रोओ।2 तुम्हारा धन बिगड़ गया और तुम्हारे वस्त्रों को कीड़े खा गए।3 तुम्हारे सोने-चान्दी में काई लग गई है; और वह काई तुम पर गवाही देगी, और आग की नाईं तुम्हारा मांस खा जाएगी: तुम ने अन्तिम युग में धन बटोरा है।4 देखो, जिन मजदूरों ने तुम्हारे खेत काटे, उन की वह मजदूरी जो तुम ने धोखा देकर रख ली है चिल्ला रही है, और लवने वालों की दोहाई, सेनाओं के प्रभु के कानों तक पहुंच गई है।5 तुम पृथ्वी पर भोग-विलास में लगे रहे और बड़ा ही सुख भोगा; तुम ने इस वध के दिन के लिये अपने हृदय का पालन-पोषण करके मोटा ताजा किया। (याकूब 5:1-5)
5 वे भक्ति का भेष तो धरेंगे, पर उस की शक्ति को न मानेंगे; ऐसों से परे रहनाआज ऐसे कई परमेश्वर के झूठें सेवक है जो चंगाई को शैतान से मानतें है, जबकि हमारा परमेश्वर कहता है चंगाई उसके बच्चों की रोटी है (२ तिमोथिअस 3:5)
3 और यह पहिले जान लो, कि अन्तिम दिनों में हंसी ठट्ठा करने वाले आएंगे, जो अपनी ही अभिलाषाओं के अनुसार चलेंगे। (2 पतरस 3:3)
28 और जैसा लूत के दिनों में हुआ था, कि लोग खाते-पीते लेन-देन करते, पेड़ लगाते और घर बनाते थे। 29 परन्तु जिस दिन लूत सदोम से निकला, उस दिन आग और गन्धक आकाश से बरसी और सब को नाश कर दिया। 30 मनुष्य के पुत्र के प्रगट होने के दिन भी ऐसा ही होगा। (लूक 17:28-30) 
14 और राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा॥ (मत्ती 24:14, 8)
हम इन सब बातों का ज़िक्र क्यों कर रहें हैं जब उसे आना होगा वह आ जायेगा
नहीं!
यह विषय अनदेखा करने का नहीं है 
प्रभू आ रहा है और वह आएगा
जब हम इस विषय की चर्चा करतें है तो हमारा मुख्य उद्देश्य होता है
क्या हम उसके साथ जायेंगे या यही छूट जायेंगे?
तब मेरा प्रश्न है कि क्या तुममे से कोई पीछे रह जाना चाहता है?
नहीं
तो फिर हम क्या करे  और कैसे रहें 
1. अनजान मत बनो 
13 हे भाइयों, हम नहीं चाहते, कि तुम उनके विषय में जो सोते हैं, अज्ञान रहो; ऐसा न हो, कि तुम औरों की नाईं शोक करो जिन्हें आशा नहीं।14 क्योंकि यदि हम प्रतीति करते हैं, कि यीशु मरा, और जी भी उठा, तो वैसे ही परमेश्वर उन्हें भी जो यीशु में सो गए हैं, उसी के साथ ले आएगा।15 क्योंकि हम प्रभु के वचन के अनुसार तुम से यह कहते हैं, कि हम जो जीवित हैं, और प्रभु के आने तक बचे रहेंगे तो सोए हुओं से कभी आगे न बढ़ेंगे।16 क्योंकि प्रभु आप ही स्वर्ग से उतरेगा; उस समय ललकार, और प्रधान दूत का शब्द सुनाई देगा, और परमेश्वर की तुरही फूंकी जाएगी, और जो मसीह में मरे हैं, वे पहिले जी उठेंगे।17 तब हम जो जीवित और बचे रहेंगे, उन के साथ बादलों पर उठा लिए जाएंगे, कि हवा में प्रभु से मिलें, और इस रीति से हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे।18 सो इन बातों से एक दूसरे को शान्ति दिया करो॥ (1 थिस्स्लोकियो 4:13-18)
लेकिन अगर लोगों ने येशु को स्वीकार नहीं किया हो तो? 
15 और जिस किसी का नाम जीवन की पुस्तक में लिखा हुआ न मिला, वह आग की झील में डाला गया॥
2. प्रभू के आने की उम्मीद बनाए रक्खो (प्रकाशितवाक्य 20:15)
33 इसी रीति से जब तुम इन सब बातों को देखो, तो जान लो, कि वह निकट है, वरन द्वार ही पर है। 34 मैं तुम से सच कहता हूं, कि जब तक ये सब बातें पूरी न हो लें, तब तक यह पीढ़ी जाती न रहेगी। 35 आकाश और पृथ्वी टल जाएंगे, परन्तु मेरी बातें कभी न टलेंगी। 36 उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता, न स्वर्ग के दूत, और न पुत्र, परन्तु केवल पिता। 37 जैसे नूह के दिन थे, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा। 
3. सदैव तैयार रहो (मत्ती 24:33-37)
42 इसलिये जागते रहो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि तुम्हारा प्रभु किस दिन आएगा। 43 परन्तु यह जान लो
कि यदि घर का स्वामी जानता होता कि चोर किस पहर आएगा, तो जागता रहता; और अपने घर में सेंधलगने न देता। 44 इसलिये तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा। (मत्ती 24:42-44)
4. विशवास योग्य रहो
46 धन्य है, वह दास, जिसे उसका स्वामी आकर ऐसा की करते पाए (मत्ती 24:46)
5. पाप को अपने जीवन में प्रवेश न करने दो
3 और जो कोई उस पर यह आशा रखता है, वह अपने आप को वैसा ही पवित्र करता है, जैसा वह पवित्र है। 4 जो कोई पाप करता है, वह व्यवस्था का विरोध करता है; ओर पाप तो व्यवस्था का विरोध है। 5 और तुमजानते हो, कि वह इसलिये प्रगट हुआ, कि पापों को हर ले जाए; और उसके स्वभाव में पाप नहीं। 6 जो कोई उस में बना रहता है, वह पाप नहीं करता: जो कोई पाप करता है, उस ने न तो उसे देखा है, और न उस को जाना है। 7 हे बालकों, किसी के भरमाने में न आना; जो धर्म के काम करता है, वही उस की नाईं धर्मी है। 8 जो कोई पाप
करता है, वह शैतान की ओर से है, क्योंकि शैतान आरम्भ ही से पाप करता आया है: परमेश्वर का पुत्र इसलिये प्रगट हुआ, कि शैतान के कामों को नाश करे (1 युहन्ना 3:3-8)
28 निदान, हे बालकों, उस में बने रहो; कि जब वह प्रगट हो, तो हमें हियाव हो, और हम उसके आने पर उसके साम्हने लज्ज़ित न हों (1 युहन्ना 2:28)
28 वैसे ही मसीह भी बहुतों के पापों को उठा लेने के लिये एक बार बलिदान हुआ और जो लोग उस की बाट जोहते हैं, उन के उद्धार के लिये दूसरी बार बिना पाप के दिखाई देगा॥ (इब्रानियों 9:28)
13 और उस धन्य आशा की अर्थात अपने महान परमेश्वर और उद्धारकर्ता यीशु मसीह की महिमा के प्रगट होने की बाट जोहते रहें। (तीतुस 2:13)
कौन स्वर्ग में प्रवेश न कर पायेगा?
14 धन्य वे हैं, जो अपने वस्त्र धो लेते हैं, क्योंकि उन्हें जीवन के पेड़ के पास आने का अधिकार मिलेगा, और वे फाटकों से हो कर नगर में प्रवेश करेंगे। 15 पर कुत्ते, और टोन्हें, और व्यभिचारी, और हत्यारे और मूर्तिपूजक, और हर एक झूठ का चाहने वाला, और गढ़ने वाला बाहर रहेगा॥ (प्रकाशितवाक्य 22:14-15)
अपने स्थान पर खड़े हो, 
परमेश्वर  यीशु के नाम से माफ़ी मांगो
अपने जीवन को सही ट्रैक पर रक्खो यीशु कभी भी आ सकता है
बोलो मै उसकी निष्कलंक कलीसिया हूँ 
प्रार्थना करो और परमेश्वर से भर कर जीवन की तकलीफों से छुटकारा पाओ 
आमीन